तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या ने परसा में किया रोड शो, कुछ नहीं बोलीं, बस चुपचाप हाथ हिलाती रहीं...
ऐश्वर्या यूं तो परसा की बेटी हैं, लेकिन सिर पर पल्लू रख पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती और चंद्रिका राय की बेटी से कहीं ज्यादा लालू प्रसाद की बहू दिख रह थीं। सिर पर पल्लू के साथ ही हाथ जोड़े, गुमसुम सी दिख रही ऐश्वर्या ने ना किसी से बात की और ना कोई वादा किया। लेकिन उनकी चुप्पी महागठबंधन के प्रत्याशी छोटेलाल राय के चुनावी प्रचार के शोर पर भारी पड़ रही थी। यही वजह रही की खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जब परसा में चुनावी सभा की थी तो मंच से ऐश्वर्या के लिए परसा के लोगों से न्याय की मांग की थी।परसा में बेटियों के साथ अन्याय बन चुका है चुनावी मुद्दा
ऐश्वर्या के प्रचार में उतरने से परसा की लड़ाई कई मायनों में अलग होती दिख रही है। यहां चुनावी मुद्दों में घरेलू हिंसा और बेटियों के साथ होने वाले अन्याय ने अपनी जगह बना ली है। ऐश्वर्या रोड शो से पहले भी पिता से अलग परिवार के सदस्यों के साथ डोर टू डोर प्रचार कर रही थीं। रोड शो में सबसे खास बात ये रही कि ऐश्वर्या के साथ इसमें उनके परिवार का और कोई सदस्य नहीं दिखा। इसे देखकर ये कहा जा सकता है कि वो इसे पिता की चुनावी लड़ाई ही नहीं, इस हार-जीत को अपनी निजी लड़ाई भी मानती हैं।
तेजस्वी ने भी परसा में किया था प्रचार...
परसा में जहां एक ओर ऐश्वर्या और उनका पूरा परिवार लगातार रह रहा है और इसे लालू परिवार बनाम ऐश्वर्या राय की लड़ाई बनाने में लगा है, वहीं तेजस्वी यादव परसा की लड़ाई को एक सामान्य चुनावी लड़ाई बनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि अबतक इस क्षेत्र में लालू परिवार की तरफ से केवल तेजस्वी यादव ने बस एक बार चुनाव प्रचार किया है। अपने प्रत्याशी छोटे लाल राय के लिए प्रचार करने पहुंचे, तेजस्वी ने यहां ऐश्वर्या और उनके परिवार से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई बात नहीं की। यहां भी उन्होंने मंच से रोजगार और नीतीश सरकार के भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को ही उठाया।
परसा की लड़ाई का जातीय समीकरण...
परसा में मुख्य रूप से दो जातियों के बीच ही हार-जीत की धुरी घूमती रही है- यादव और राजपूत। चंद्रिका राय इससे पहले यादव वोटों के सहारे बड़ी जीत हासिल करते रहे हैं, लेकिन इस बार वो यहां एनडीए के प्रत्याशी हैं। वहीं राजद की तरफ से मैदान में उतरे छोटेलाल राय 2015 में एनडीए का हिस्सा रहे। वे लोजपा के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे। दोनों से तरफ से उम्मीदवारों के हेर-फेर ने जीत के जातीय समीकरणों में भी बदलाव कर दिया है। यही वजह है कि ऐश्वर्या का इमोशनल फैक्टर, यहां के चुनावी मैदान में जातीय समीकरणों के तोड़ के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

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