बर्ड फ्लू वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है, मुर्गा खाने वाले ये लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं...
अधपका नॉन-वेज खाना और अंडे खाने से बचें, जहां पक्षियों की मौत हुई हो वहां न जाएं.. देश के छह राज्यों में बर्ड फ्लू का कहर जारी है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा हिमाचल प्रदेश और केरल में 84 हजार 775 पक्षियों की मौत हो चुकी है। मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। ज्यादातर पक्षियों से लिए गए सैम्पल में H5N1 एवियन इनफ्लूएंजा वायरस की पुष्टि हो चुकी है। हरियाणा और गुजरात के सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है।क्या है बर्ड फ्लू वायरस ?
इसे एवियन इनफ्लुएंजा वायरस भी कहते हैं। बर्ड फ्लू के सबसे कॉमन वायरस का नाम H5N1 है। यह एक खतरनाक वायरस है जो चिड़ियों के साथ इंसान और दूसरे जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, H5N1 को 1997 में खोजा गया था। इस वायरस से संक्रमित होने पर 60% मामलों में मौत हो जाती है।
इंसान में यह वायरस कैसे फैलता है और पहला मामला कब आया?
बर्ड फ्लू के कई वायरस हैं, लेकिन H5N1 पहला वायरस है जिसने इंसान को संक्रमित किया। संक्रमण का पहला मामला हॉन्ग-कॉन्ग में 1997 में सामने आया था। यह वायरस संक्रमित मुर्गियों के जरिए इंसान तक फैला था।2003 से यह वायरस चीन समेत एशिया, यूरोप और अफ्रीका में फैलना शुरू हुआ। 2013 में इंसान के संक्रमित होने का मामला चीन में भी सामने आया।
WHO के मुताबिक, आमतौर पर यह वायरस इंसान को संक्रमित नहीं करता लेकिन कुछ देशों में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनसे संक्रमण इंसानों में फैला है। इसका वायरस आमतौर पर पानी में रहने वाली बत्तखों में पाया जाता है, लेकिन मुर्गियों के फार्म में यह तेजी से फैलता है। संक्रमित मुर्गियों या इसके मल-मूत्र के सम्पर्क में आने से यह वायरस इंसानों में फैलता है।
बर्ड फ्लू का संक्रमण किन्हें हो सकता है?
संक्रमण होने पर यह वायरस शरीर में लम्बे समय तक रहता है। पक्षियों में संक्रमण होने पर वायरस उसमें 10 दिन तक रहता है। यह मल और लार के रूप से बाहर निकलता रहता है। इसे छूने या सम्पर्क में आने पर संक्रमण हो सकता है।
वायरस का पता कैसे लगाते हैं ?
सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने संक्रमित इंसान में वायरस का पता लगाने के लिए इनफ्लुएंजा A/H5 वायरस रियल टाइम RT-PCR टेस्ट तैयार किया है। रिपोर्ट आने में 4 घंटे लगते हैं। हालांकि यह जांच दुनियाभर में उपलब्ध नहीं है।
आमतौर पर डॉक्टर वायरस की जांच के लिए मरीज के व्हाइट ब्लड सेल्स और नाक से नमूना लेकर जांच करते हैं। इसके अलावा चेस्ट एक्स-रे करते हैं और सांस लेने पर निकलने वाली आवाज भी जांचते हैं।
बर्ड फ्लू के अलग-अलग वायरस के लक्षण भी अलग हो सकते हैं। लक्षणों के मुताबिक, इलाज बदलता है। आमतौर पर एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं: